Tuesday 20 January 2015

औघड़ वाणी - Aughad Waani

औघड़ वाणी: मैं औघड़ हूँ धारा प्रवाह अपशब्द बोल सकता हूँ । मैं माँ की छांव में रहता हूँ कोई मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकता है । मसान का मैं बाप हूँ । अपशब्द बोलना नीचा दिखाना ।
यह सारे दंभ की निशानी हैं ।
किसी मनुष्य को अपशब्द बोलने से पहले उसके अंदर के परम तत्व रुपी परमात्मा के अंश को समझो । अपशब्द नहीं निकलेंगे ।
जब एक साधक माँ की छांव में कुकृत्य करता है तो माँ उसे दण्डित करती है । अपनी छांव से बाहर निकाल देती है । जब माँ की छांव रहेगी नहीं तो कोई भी नकारात्मक शक्तियां प्रभाव डाल सकती हैं ।
कोई किसी से कम ज्ञानी नहीं होता । बस ज्ञान और सत्य का आयाम पृथक होता है । अतः कोई किसी से नीचा तो कदापि नहीं हो सकता है ।
मसान के अधिपति स्वयं महादेव हैं जहाँ पर भैरव और काली महादेव के संग निवास करते हैं ।
मसान को प्रेम से जागृत किया जाता है । अगर प्रेम के संबोधन से मसान जागे तो मसान के अधिपति का भाव नहीं आना चाहिए ।
अलख आदेश ।।।

http://aadeshnathji.com/aurghad-waani3/

1 comment:

  1. Prabhu tora duvidha m hu aapka margdharsan chahia
    Maharaj kripa kre

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