Wednesday 21 January 2015

औघड़ वाणी - aughad waani

औघड़ वाणी: क्या आज कल तंत्र और अघोर बस प्रयोगों में समाहित हो गया है? नौकरी नहीं प्रयोग बताओ । मन नहीं लगता प्रयोग बताओ । घर में पति पत्नी में अनबन है प्रयोग बताओ । आज कल हर प्रयोग के लिए प्रयोग बन गए । कभी लगता है तंत्र आत्म ज्ञान स्वः अनुभूति से कहीं दूर है । जब सांसारिक भटक गया तो कई भटकाव दीक्षा वाले गुरु भी अवतारित हो गए । ऐसे अनेक गुरु रूपी गुरु घंटाल हर नुक्कड़ पर बैठ गए जो घंटो में प्रेमी या प्रेमिका को वापस लाने का दावा करने लगे । और कामांध सांसारिक मृत अवश्यम्भावी देह को पाने के लिए विचलित हो गया ।
कुछ महानुभावों ने गुरु धर्म का फायदा उठाया । दीक्षा दूंगा इतने पैसे दो । आय का दशांश दो । घर की परेशानी, अनबन दूर कर दूंगा । रक्षा करूँगा । बस धन देते जाओ ।
एक ऐसे महापुरुष हैं जिन्होंने नौकरी छूटे व्यक्ति से 50,000 की मांग रख दी । पैसे लाओ नौकरी दिलवा दूंगा । नौकरी तो नहीं मिली अपितु जिनसे पैसे मांग के दिए थे वो मांगने लगे ।
ऐसे भटकाव वाले दीक्षा गुरु खुद मसान नहीं जाते पर अपने शिष्यों को मसान साधना सिखाते हैं ।
क्या सांसारिक इतना कामांध और मानसिक रूप से कमजोर है कि जहाँ तिलक और वस्त्र के रंग देख लिया दौड़ पडे ?
और ऐसे तथाकथित गुरु भी हर मौके पर देव और देवियों को बदनाम करने लगे । इसका दोष उसका दोष दिखाने लगे । और सांसारिक सब कुछ यथाशीघ्र पाने की आपाधापी और सारे काम तुरंत कराने के चक्कर में और परेशान होने लगे ।
जब संत कौन है गुरु का भाव कैसा होता है सभी को पता है तो ऐसा कार्य क्यों?
अलख आदेश ।।।
http://aadeshnathji.com/aughad-waani7/

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