Tuesday 20 January 2015

अघोर पंथ - Aghor panth

मैं अघोर पंथ में आना चाहता हूँ । अघोर विद्या सीखना चाहता हूँ । अघोर पंथ मुझे बहूत अच्छा लगता है । ऐसे प्रश्न अधिकाधिक सुनने को मिलते हैं । अघोर पंथ लिखित रूप तथा सुनने में रोमांचक अवश्य है । पर व्यावहारिक रूप में कठिन है । अघोर पंथ में असरल हो चुके मनुष्य को सरल बनना होता है । व्यसक हो चुके मनुष्य में वापस शिशुत्व भाव को जागृत कराता है । एक मनुष्य जो भेद करना सीखता है उसे भेद रहित बनना सिखाता है ।
इन सब रहस्यों को पलट कर वापस उसी भाव में आना अत्यधिक दुष्कर है । इस मंच का उद्देश्य किसी को अघोर पंथ की दीक्षा देना कदापि नहीं है । ना ही अघोर पंथ में आने का आग्रह करना है ।
जो साधक अघोर पंथ में आना चाहते हैं उनसे निवेदन है पहले अपने अंदर की क्षमता को आंकें । अघोर की जीवन शैली और कठिनाईयों को समझें ।
अघोर सुख सुविधा कष्ट एवं कठिन परिस्थितियों में सम रहता है । ऐसे में सांसारिक अपने घर में ही बिना रौशनी के रह के देखें । बिना भय के साधना करके देखें । जब साधना में भय का स्थान ना हो तब अघोर साधना की ओर अग्रसर हों । अन्यथा साधना में असफ़लता एवं अनुभूतियों का आभाव रहता है । साधक को जब किसी भी वस्तु से या व्यसन से प्रेम हो जाये उससे दूर होकर देखें । घृणा की जगह प्रेम से दूर होकर देखें ।
मसान में विरक्ति का अनुभव करने मसान में बैठ कर देखें । रोमांच के लिए या शीघ्र अनुभूति के लिए अघोर में ना आयें । अघोर पंथ दो धारी तलवार है जिसमे मूठ नहीं है । नग्न हाथों से ही पकड़ना है । चलाने में अगर थोड़ी सी भी चूक हुई तो स्वयं को आहत करना अवश्यम्भावी है । मेरे इस लेखन का उद्देश्य भयभीत करना नहीं है पर जो साधक अघोर के बारे में साहित्य एवं श्रवन कर अघोर में बिना जाने आना चाहते हैं उन्हें अघोर पंथ की वास्तविकता से साक्षात्कार कराने का प्रयास कर रहा हूँ ।
अतः अघोर में आने से पहले इस पंथ की वास्तविकता को समझें । फिर इस पंथ में आने का निर्णय करें ।
अलख आदेश ।।।

http://aadeshnathji.com/aghor-panth-3/

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