Thursday 29 January 2015

अघोर समागम- Aghor samagam


ॐ सत नमो आदेश श्रीनाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश

अघोर समागम

अघोर समागम का मुख्य उद्देश्य अघोर और तंत्र को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करने का है । आदि काल से अघोर गुप्त रहा है । अघोर साधक शमशान या किसी गुफा में अपना जीवन व्यतीत करते थे । अघोर के दर्शन काफी दुर्लभ थे । जिसके पीछे शमशान में प्रेतों का भय और अघोरी साधुओं का रुखा स्वभाव मुख्य था । अघोर पंथ के साधको का मस्त मलंग रहना और बिना भय और सम्मान की चाह रख कर साधना अघोर को भयभीत बनता चला गया । जिसका फायदा नाम धारी अघोरी और तथाकथित तांत्रिकों ने उठाया ।
अघोर सहज और सरल है । अघोर में लोभ मोह क्षोभ घृणा और आसक्ति का कोई स्थान नहीं है । अघोर अपने में मस्त मलंग रहता है । उसे न दुनिया की खबर होती है ना ही दुनियादारी की । ऐसे में नामधारी बाबाओ ने अघोर के द्वारा किये गए प्रयोगो को और उनके स्वाभाव को दूसरे रूप में समाज के सामने प्रस्तुत कर भयभीत करना शुरू कर दिया ।
अपशब्द बोलना, मदिरा पान करके धुत्त रहना , व्यभिचार करना, सांसारिक को विभिन्न रूप से डराना की अगर मेरी बात नहीं माने तो ये कर दूंगा वो कर दूंगा ।
ऐसे में सांसारिक इष्ट से दूर होता चला गया और भयभीत होने लगा । इष्ट से प्रेम की जगह भय आ गया । ऐसे में फल स्वरुप बाबाओ का धंधा बढ़ चढ़ गया और अघोर और तंत्र के प्रति अनेक भ्रांतियां बन गयी ।
ऐसा वातावरण बन गया की एक अघोर साधक बस व्यभिचार करता है और अगर भड़क गया तो सांसारिक का जीवन बर्बाद कर देगा ।
इन सब भ्रांतियों को मुख्य रूप से समाप्त करने हेतु एवं सही अघोर के दर्शन करने हेतु श्री गुरु आदेशनाथ जी ने अघोर मंच एवं अघोर समागम की शुरुआत की है । इस मंच का उद्देश्य शिष्य बनाना या धन कमाना नहीं है अपितु अघोर का वास्तविक स्वरुप क्या है यह दर्शाना है । जन साधारण से दूर अति उग्र साधना पद्धिति जिसमे बस प्रेम ही प्रेम है इष्ट के लिए उसे सबके सामने लाना है ।
पिछले दो सालो के अथक प्रयास से मंच से जुड़े साधको एवं संसारिको में अघोर के प्रति भय कम हुआ है ।
इस प्रयास से साधको को सही मार्ग दर्शन मिले और अघोर पंथ के प्रति भय घृणा एवं भ्रांतियों का समापन हो ऐसा महाकाल प्रभु श्री आदि नाथ से कामना करते हैं ।
अलख आदेश ।।।
http://aadeshnathji.com/aghor-samagam/

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