Tuesday 10 February 2015

औघड़ वाणी

                            ॐ सत नमो आदेश श्रीनाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश

                                         औघड़ वाणी : साधक सांसारिक क्रोध लोभ मोह क्षोभ द्वेष और घृणा को त्याग कर जब साधना में प्रवेश करता है तो आवश्यक है कि इन सप्त विकारों से साधना में भी दूर रहे । अन्यथा अनुभूति का लोभ , साधन का मोह , अनुभूति या कार्य सिद्ध ना होने पर क्षोभ और क्रोध । दूसरे पंथ के साधन से घृणा और द्वेष और साधना का दम्भ अक्सर साधक को जकड लेता है ।
                                          अक्सर साधक दूसरे साधक को तुच्छ समझने लगते हैं और स्वः किये हुए साधना एवम् जाप पर दम्भ करने लगते हैं । इसका अंत कदापि नहीं होता और साधक वापस इसी चक्कर में गोल गोल घुमते रह जाते हैं ।
अलख आदेश ।।।



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