Friday 13 February 2015

अघोर साधक का जीवन

                              ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश 


                              एक अघोर साधक का जीवन अति कठिन होता है । हर क्षण परीक्षा होती है । कभी गुरु परीक्षा लेते हैं कभी इष्ट कभी शक्तियां । एक सुई के नोक के बराबर भी गलती हुई और आ गए लपेटे में । गुरु हर पल हर क्रिया कलापों में आपके संयम और अघोरत्व के भाव की परीक्षा लेते हैं । साधनाओं में इष्ट और शक्तियां हर संभव रूप से परीक्षा लेती हैं । अलग अलग भाव दर्शा कर । अलग अलग परेशानी समक्ष लाकर साधना के मध्य में व्यवधान उत्पन्न करते हैं ।
                            अगर साधक अपने लक्ष्य की ओर ना डटा रहे तो साधना खंडित हो जाए और इष्ट ठहाका लगा कर हसते हुए चले जाते हैं ।कभी शक्तियां अनेक भाव को दिखा कर मानसिक रूप से साधना खंडित करने को आतुर रहती हैं । अघोर वह जिद्दी साधक है जो किसी भी अड़चन के समक्ष आने पर दहाड़ता हुआ डटा रहे ।
मनुष्य छोटे मोटे प्रयोग होने पर घबरा जाता है । किसी अघोर साधक से पूछना उसपर ना जाने कितने प्रयोग हो रहे होते हैं । हर समय प्रयोग अलग अलग प्रयोग ।
                            काले वस्त्र पहन कर मसान गए किसी औघड़ की तरफ नजर ना पड़ी तो प्रयोग । नजर पड़ी और उसके भाव बदले काले वस्त्र धारण कर रखा है देखें कैसा साधक है इस्पे प्रयोग ।जब बोल रहे हो शांत कराने के लिए प्रयोग । साधना कर रहे हो कौन सी साधना कर रहे हो यह जानने के लिए प्रयोग । कितनी शक्तियां हैं इनके पास यह जानने के लिए प्रयोग । ज्ञान बाँट रहे हो बकवास करता है या सच में साधक है यह जानने के लिए प्रयोग ।
                          ऐसे में गुरु का वरद हस्त ना हो और संयम न बरता जाए तो साधक परेशान हो जाए ।प्रयोग और बंधन के समक्ष आपका व्यवहार और इष्ट एवं गुरु के प्रती श्रद्धा कतई कम ना होने पाए ।हर क्षण गुरु एवं इष्ट को समक्ष रखना होता है ।
अलख आदेश ।।।

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