Sunday 15 February 2015

महाकाली प्रचंड है पर राक्षसी नहीं

                              ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश 


                                     महामाया महाकाली प्रचंड है पर राक्षसी नहीं । भैरव क्रोधेश हैं भूतपति हैं पर शैतान या राक्षस नहीं हैं । आज कल हिन्दू धर्म के पतन के लिए चित्रकार रुपी महानुभावों ने अजीब अजीब चित्रें बना कर सबके सामने प्रस्तुत कर दी हैं । जिन लोगों को सत्यता का भान नहीं वो उन्ही चित्रों के माध्यम से मात्रि स्वरूपी महामाया की विपरीत रूप वाली छवि की साधना करते हैं या भयभीत हो सभी को भयभीत कराते हैं ।
                                    महामाया का प्रचंड रूप अपनी संतान की रक्षा करने के लिए होता है । इस संसार में भी अगर आप किसी स्त्री की संतान को हानि करने की कोशिश करते हैं । एक अबला स्त्री प्रचंड रूप लेकर अहित करने वाले शक्तिशाली पुरुष से भी लड़ जाती है । किसी भी मात्रि स्वरुप चाहे वो श्वान प्रजाति की हो या बन्दर प्रजाति की । हर रूप में माँ अपने संतानों के लिए प्रचंड भाव रक्षा हेतु रखती है ।
                                        महामाया के हस्त कमलों में अस्त्र शस्त्र हैं पर वे सभी सुप्तावस्था में होते हैं । माँ के हाथों ने वर एवं अभय का भाव सर्वोपरी है । जिससे माँ अपने अभय मुद्रा से गोद में उठा वर मुद्रा हस्त से अपने संतान एवं अंश के सर में हाथ फेरती हैं । और मनुष्य के शत्रु (क्रोध , मोह, क्षोभ इत्यादि) को अपने शस्त्रो से काट देती हैं । माँ के अति प्रचंड रुपी स्वरुप में अभय और वर मुद्रा स्पष्ट रूप से दिखता है । जिनको माँ की आखों में डर की अनुभूति होती है । वो उग्र रूप में प्रचंड हुई स्त्री के आँखों का स्मरण कर लें । उस स्त्री की आँखें भी रक्तिम एवं क्रोध से परिपूर्ण होती हैं । प्रचंड रुपी स्वरुप में अगर माँ के मुख को देखा जाये तो माँ हसती हुई प्रतीत होती है जो सभी प्रकार के डर भय के भाव को नष्ट करने की क्षमता रखता है ।
अलख आदेश ।।।

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