Sunday 15 February 2015

आत्मा – शरीर


                              ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश



                                      एक आत्मा शरीर त्यागने के बाद शारीरिक मोह माया बंधन एवं इक्षा से निवृत नहीं हो पाती ।ऐसी बंधन युक्त आत्माएं प्रेत , भूत, राक्षस, एवं पिशाच का रूप अपनी आकाँक्षाओं के अनुसार करती हैं । एक अघोर साधक इनका उपासक नहीं होता । मसान में साधना कर रहे अघोरी के पास आत्माएं आकर अपने मुक्ति का आग्रह करती हैं । अघोर महामाया के निर्देशानुसार उन आत्माओं से इक्षित कार्य करवा उसके बन्धनों से मुक्त कर उसे मुक्ति प्रदान करवाता है ।
                                       अघोर प्रेतों और भूतो को वश में नहीं करके रखता और ना ही सांसारिक उपलब्धियों के लिए इस्तेमाल करता है । आग्रह कर रही आत्माएं अपनी इक्षा के अनुसार साधक के साधन की पूर्ति करती हैं । अघोर प्रेतों से कोई वचन की अपेक्षा नहीं रखता है । जब अघोर स्वयं भैरव से प्रत्यक्ष वार्ता कर सके तो भूत प्रेतसे क्या मिन्नत करे ।
अलख आदेश ।।।

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