Sunday 22 February 2015

अघोर सूत्र

                              ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश 


काला निकाल कर लाल डालो
अंजरी बजरी सब खा लो
चार उंगल थी आठ उंगल फटी
तब नाथो के आगे नाठी ।।
अघोर साधक के लिए ये चार पंक्ति अति मूल्यवान हैं । साधना में अग्रसर होते हुए साधक के कर्तव्य अति तीक्ष्ण हो जाते हैं । थोडा स ध्यान भटका और बदनामी के गर्त में गिरे । कलिकाल के दौर में साधकों का मक्खन लगाने वाले संसारिकों से दूर रहना अति कठिन है । ऐसे कई गृहस्त साधक हैं जिनका प्रयास संसारिक प्रपंच से दूर रहना होता है ।
                                  परंतु कलिकाल के गर्त में सन्यासी साधक को भी सांसारिक मोह माया बांध लेती है । ऐसे में साधक क्या करे?
                            काले का अर्थ संसार के सभी विकार हैं और लाल पूण्य के घोतक । साधक के लिए आवश्यक है संसार में आने वाली हर चीजों को स्वीकारे चाहे वो भोज्य हो या अभोज्य, स्वीकार करने योग्य हो या नहीं । स्वीकार वो सबको करे पर जो ग्रहण के योग्य हो बस उसी को ग्रहण करे ।संसार में हैं तो संसार से विमुख होना आवश्यक नहीं है । संसार में मोह भी है माया भी है । लोभ भी है क्षोभ भी है । इन सबके साथ रह कर भी इनमे ना फसना साधक का कर्त्तव्य है । कमल के पत्ते पर जल की बूँद के सामान । कीचड में रहकर भी सुंदरता । यही साधक के लक्षण हैं ।
                                 साधना पथ से विचलित ना होना । समय के उंच नीच में सामान रहना ।साधारण मनुष्य चार आयाम तक सोच या देख सकते हैं । जब साधक सहज भाव से साधना में अग्रसर होता है तब उसके अष्ट आयामी दृष्टि कोण उसे महादेव प्रभु श्री आदिनाथ के सामने खड़ा करते हैं ।
                           अगर सांसारिकता के मोह ऐवम मायाजाल में फसे तो बस यहाँ की सुलभता पर ऐश कर सकते हैं और वाह वाही लूट सकते हैं । पर यह मनोरंजन और वाह वाही और सुलभता पल पल आपको वापस संसार में खींच रही होती है । शब्दों में ना कह पाएं और शब्दों को बदलने से मन के भाव नहीं बदल पाते । सांसारिक किसी महानुभाव के शब्दों की जयजयकार करते हैं । पर मन और कर्म के भाव की प्रमुखता महादेव के सामने खुल कर आती है ।
                             अपने कार्यों को संतुलित करें और मन के भाव को साधना पथ पर रखें । शब्दों का सूक्ष्मता से चयन करें । अन्यथा महामाया का अधो त्रिकोण रुपी परीक्षा तल इसी संसार के कर्मों में बाँध देगा ।।
अलख आदेश ।।।


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