Sunday 22 February 2015

अघोर और सांसारिक

                              ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश 


                                            अघोर से सांसारिक अपने सांसारिक सोच को समक्ष रख कर बाते करते हैं । कभी कोई साधक कहता है बंधन निवारण मन्त्र या विधि बता दो । कोई यंत्र उत्कीलन । कोई कहता है मन्त्र कैसे जागृत करते हैं यह बता दो । प्रेमी को सम्मोहन करने का मन्त्र बता दो । प्रेमिका को वश में करने का मन्त्र या उपाय बता दो । धन प्राप्ति का उपाय बता दो ।
                                              जब अघोर विधि से सोचता हूँ तो इतने मन्त्र अघोर तो याद रखते ही नहीं । जिस प्रकार आदेश हुआ या शक्तियों का सन्देश हुआ कार्य कर लेते हैं । अघोर के सारे क्रिया कलाप उलटे एवं साधारण विधि विधान से अलग होते हैं ।
                                           किसी देव को भोग देने की बात हुई खुद खा लिया । हवन में मदिरा पी के दाल दी । कहा ले लो भोग । कलवा को भोग देने की बात हुई अपने शिष्य को खिला दिया , शिष्य को भोग का असर भी नहीं हुआ और कलवा खुश हो गया । अलग अलग भाव अलग अलग प्रयोग । ऐसे प्रयोग कर पाने के लिए मन के भाव सम एवं स्वयं सक्षम होना होता है ।
                                      मुख्य यह है कि सांसारिक इन बातों को कैसे समझे । जब सांसारिक अघोर के पास समस्या लेकर आये तो पूर्ण श्रद्धा और समर्पण लेकर आये । दुविधा और दोहरी मानसिकता में अघोर के पास आओगे तो खुद परेशान होगे और अघोर के क्रोध भाव को भी झेलना पड़ेगा ।
                                   अघोर के प्रयोग शक्तियों द्वारा प्रेरित होते हैं ऐसे में अघोर के पास गए सांसारिक के बाधा निराकरण हेतु अलग अलग आदेश प्राप्त होते हैं । जिसमे कभी दुर्लभ वस्तुओं का प्रयोग निहित होता है कभी हवन ।अब उस प्रयोग में होने वाली विशिष्ट वस्तुओं को अघोर कहा से लेकर आएगा । ना धन का संग्रह करता है ना ही वस्तुओं का । ऐसे में वस्तु कौन लेकर आएगा ? या विशिष्ट हवन में धन कहा से लाएगा । किसी व्यथित सांसारिक का काम छोटे प्रयोग से हो जाता है किसी का बड़े कार्य के बाद ही संपन्न होता है ।
                                     सांसारिक को लगता है अघोर पैसे लेता है । कभी अघोर को महल में रहते देखा? कभी अघोर को मसान से बाहर रहते देखा ? मसान में धन से अघोर क्या करेगा ?
                                 अघोर ना ही कभी किसी किए सम्बन्ध तोड़ने का कार्य करेंगे ना ही वश में कर कोई कार्य कराने का । ऐसे में कुछ सीधा बोलते हैं पाखंडी हो नहीं हो तो काम करो मेरा । एक ने तो लिखा नफरत करती हूँ आप लोगों से । आप सब पैसे लेते हो । नहीं लेते तो मेरा प्रेमी जो मेरा फायदा उठा रहा है उसे वापस ला दो शादी करा दो ।अलग अलग बहाने अलग अलग मानसिकता । ऐसे में अघोर उनका स्वागत तो नहीं कर सकता । ना ही अघोर के संग रहने वाली शक्ति उससे प्रसन्न रहेगी ।
क्रोध भाव तो झेलना पड़ेगा ही ।।
अलख आदेश ।।।

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