Sunday 15 February 2015

औघड़ वाणी

                              ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश 


औघड़ वाणी: जब एक साधक मैं , मेरा , मुझसे और मैंने को आत्मा तथा सर्व रूप से त्याग कर बस महामाया के द्वारा, महामाया ने , महामाया का एवं बस महामाया को आत्मसात कर लेता है तब वह सबको सम भाव से देखता हुआ महामाया के प्रेम का पात्र बन जाता है ।
अन्यथा कई लोग के वचन होते हैं मैं यह कर सकता हूँ वो कर सकता हूँ । पर करने और कराने वाली तो बस वही महामाया है ।
अलख आदेश ।।।
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