Friday 13 February 2015

मन अति सूक्ष्म अति चंचल और अति तीव्र है

                              ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश 


                                        मन अति सूक्ष्म अति चंचल और अति तीव्र है । इसको नियंत्रित करना उतना ही कठिन एवं जटिल है । मन को नियंत्रित करने का सफल उपाय किसी मछुआरे से सीखना होता है । एक मछुआरा भरे जलाशय में एक मजबूत धागे से अंकुश रुपी काँटा लगा कर फेंक देता है । जलाशय संसार है मन वो मीन जो इधर उधर भटकता रहता है । धागा संयम करने वाला साधन और अंकुश रुपी काँटा मन को संयमित करने का उपाय । मछुआरा आत्म ज्ञान ।
                                      जैसे एक मछुआरा अंकुश रुपी कांटे में कोई जीव लगा कर मीन को आकर्षित करता है । उसी प्रकार आत्म ज्ञान श्रद्धा को साधन बना मन को आकर्षित करता है ।आकर्षित मीन रुपी मन उस अंकुश रुपी कांटे में फस कर छटपटाता है । मछुआरा उसे उस समय नहीं खींचता अपितु मीन को फंसे रहने देता है । और धीरे धीरे अपनी और खींचता है । कभी भी तीव्र गति से नहीं खींचता है । अन्यथा मन रुपी मीन उस झटके में आहत हो उस अंकुश से घाव लेकर मुक्त हो जायेगा । जब मीन समीप हो तब उसे मछुआरा पकड़ कर एक छोटे से जल पात्र में डाल देता है । और वही जल पात्र उस मीन का संसार बन जाता है ।
 
इसी प्रक्रिया से मन को नियंत्रित किया जा सकता है।

श्रद्धा रुपी अंकुश से मन रुपी मीन को आकर्षित कर संयमता से मन को नियंत्रित कर एक साधक साधना में अग्रसर हो सकता है ।
अलख आदेश ।।।

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