ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश
सनातन धर्म के सबसे बड़े शत्रु शायद ही हिन्दू ही हैं । अगर किसी के घर में
कोई शास्त्र में दिलचस्पी दिखाए तो उसके घर वाले ही बोलते हैं “ये तो
पुजारी बन गया” ।
मित्र गन कहते हैं “बाबा बन गया क्या ?” सम्बन्धी कहते हैं “इसे लंगोट पहना दो और हिमालय भेज दो । बाबा लोगों का घर पर क्या काम ”
क्या अपने शास्त्र , वेदों एवं अपने इतिहास का ज्ञान रखना इतना कठिन है । आज कल की युवा पीढ़ी जो माता पिता बन रहे हैं उनको स्वयं में अपने संस्कृति के बारे में ज्ञान नहीं है । वो अपने बच्चों को कहा की शिक्षा दे पाएंगे । फिर वही अंग्रेजी विद्यालय और अंग्रेजी संस्कृति का पालन होगा ।
अगर हिन्दू ही हिन्दू संत का मजाक उड़ायेंगे तो अभी जो संस्कृति की कुछ जमापूंजी उनके माध्यम से समाज में आएगा उसे भी बंद कर दे रहे हैं । एकता के अभाव में पहले जिस तरह भारत अलग अलग रूप से आधीन रहा है आज वही दुहराया जा रहा है । आज फिर से विदेशी सभ्यता हमें असभ्य बना रही है । ऐसी संस्कृति और विरासत जो आदि काल से चल रही है उसे पथ भ्रष्ट कर रही है ।
आज अगर जगद्गुरु श्री शंकराचार्य जी महाराज जी अपनी संस्कृति को बचाने हेतू कुछ उपाय बताते हैं तो उन्हें हमारे ही हिन्दू भाई अलग अलग उपेक्षित उपाधि से अपमान करने लगते हैं । क्या होगा इस सनातन धर्म का ? क्या फिर से वही आधीन होना है या हिंदुत्व को सर्वोच्य उदहारण बनाना है ।।
यह आप सभी हिन्दू भाईयों की इक्षा पे निर्भर करता है ।।
अलख आदेश ।।।
मित्र गन कहते हैं “बाबा बन गया क्या ?” सम्बन्धी कहते हैं “इसे लंगोट पहना दो और हिमालय भेज दो । बाबा लोगों का घर पर क्या काम ”
क्या अपने शास्त्र , वेदों एवं अपने इतिहास का ज्ञान रखना इतना कठिन है । आज कल की युवा पीढ़ी जो माता पिता बन रहे हैं उनको स्वयं में अपने संस्कृति के बारे में ज्ञान नहीं है । वो अपने बच्चों को कहा की शिक्षा दे पाएंगे । फिर वही अंग्रेजी विद्यालय और अंग्रेजी संस्कृति का पालन होगा ।
अगर हिन्दू ही हिन्दू संत का मजाक उड़ायेंगे तो अभी जो संस्कृति की कुछ जमापूंजी उनके माध्यम से समाज में आएगा उसे भी बंद कर दे रहे हैं । एकता के अभाव में पहले जिस तरह भारत अलग अलग रूप से आधीन रहा है आज वही दुहराया जा रहा है । आज फिर से विदेशी सभ्यता हमें असभ्य बना रही है । ऐसी संस्कृति और विरासत जो आदि काल से चल रही है उसे पथ भ्रष्ट कर रही है ।
आज अगर जगद्गुरु श्री शंकराचार्य जी महाराज जी अपनी संस्कृति को बचाने हेतू कुछ उपाय बताते हैं तो उन्हें हमारे ही हिन्दू भाई अलग अलग उपेक्षित उपाधि से अपमान करने लगते हैं । क्या होगा इस सनातन धर्म का ? क्या फिर से वही आधीन होना है या हिंदुत्व को सर्वोच्य उदहारण बनाना है ।।
यह आप सभी हिन्दू भाईयों की इक्षा पे निर्भर करता है ।।
अलख आदेश ।।।
No comments:
Post a Comment