Friday, 13 February 2015

धर्मान्तरण एक अभिशाप

                              ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश 

                                  धर्मान्तरण एक ऐसा अभिशाप है जिसमे एक अभिशापित व्यक्ति दुसरे साधारण सनातन धर्म के साधारण मनुष्यों को अभिशापित करने को प्रेरित करता है । परी कथाओं के रक्त पिपाशु चरित्र (vampires) की तरह । अनेक प्रलोभन देकर अभिशापित कर दिया जाता है । और अभिशापित व्यक्ति उसी को सर्वोच्च मान कर रम कर दूसरों को भी उसी में रमने की सलाह देता है ।
                                 जो व्यक्ति वेश्यावृति को बुरा या गलत इसलिए कहते हैं कि कुछ सुख सुविधाओं के किसी ने अपने शरीर और इज्जत का सौदा किया । क्या धर्मान्तरण इससे ज्यादा बड़ा पाप नहीं की अपने नाम धर्म इज्जत पहचान को कुछ क्षणिक सुख सुविधाओं के लिए सदा के लिए तिलांजलि दे दी ।आश्चर्य तब होता है जब धर्मान्तरित व्यक्ति ना इधर का होता है ना ही उधर का हो पाता है । ना सनातन धर्म में वापस आ सकता है और जिन लोगों की वजह से उसने धर्म का सौदा किया नाही वो उसे पूर्ण रूप में स्वीकारते हैं ।

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