Friday 13 February 2015

दिखावट , आडम्बर , स्वः प्रतिष्ठा

                              ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश 

                     दिखावट , आडम्बर , स्वः प्रतिष्ठा का भान भटकाव का एक स्वरुप है । जब साधक में स्वः प्रतिष्ठा का भान होने लगे । आस पास के मनुष्यों में स्वयं को श्रेष्ठ बताने का भाव जनित होने लगे । मैं सबसे बेहतर, सब मुझे बड़ा माने या सब मुझे गुरु रूप में पूजे का भाव भटकाव की सबसे बड़ी प्रविर्ती है ।
                      साधक अपनी सिद्धियों दूसरों को प्रभावित तो कर सकता है । पर सीद्धियों का स्थान और उपयोग बदल जाता है । इस बात का ज्ञान रखना आवश्यक है सिद्धि शक्ति अवश्य है पर एक पिता के गोद में बैठी बेटियों के सामान । पिता अपनी पुत्रियों को जिस प्रकार प्रेम और सौहार्द्य से रखता है सिद्धियों का रख रखाव वैसा ही होना चाहिए । किसी अनर्गल कार्य में कभी उनका सहयोग नहीं लेना चाहिए । अन्यथा ऐसा प्रतीत होगा की पुत्रियों के सुन्दरता और लक्षण पर पिता समाज में प्रतिष्ठा पाने की लालसा करे ।
                       सिद्धियों को अघोर साधक अपनी झोली में स्थान देकर या मुंड में स्थान देकर उनके होने पर भी ना होने का भान रखते हैं । अन्यथा सिद्धियाँ जिस प्रकार आई हैं उसी प्रकार जाने का भी मार्ग खोजती हैं । अगर सिद्धियों का स्थान बदल कर उनको मस्तिस्क पे स्थान दिया जाए तो वो साधक को अहम में भर देती हैं और किसी भी ऐसे कार्य का नियोजन कर चली जाती हैं ।
                 ऐसे में साधक बस एक खोखला तना हो जाता है । जिसे एक छोटी आंधी भी उखाड़ कर फेंक देती है ।सिद्धियाँ पथिक के राह की उपलब्धियां हैं । जिनको गंतव्य कभी नहीं समझना चाहिए ।जितना प्रयास हो सके आडम्बर और स्वः प्रतिष्ठा से दूर रहना चाहिए । सामाजिक प्रतिष्ठा का कोई मान नहीं होता । सांसारिक किसी भी साधक के संग तभी तक रहते या सम्मान करते हैं जब तक उनका कार्य निर्विघ्न रूप से सम्पूर्ण नहीं होता । सांसारिक धन संपत्ति का कोई मुल्य नहीं होता । उनका कोई अस्तित्व नहीं होता । ना ही किसी के अपने होते हैं । जो एक रुपया आज किसी व्यक्ति के पास है वो दुसरे व्यक्ति के पास जाकर उसका हो जाता है । जब कोई अपना है ही नहीं तो उसे पाने की लालसा में दिखावा या आडम्बर क्यों?पाना है तो उस भक्ति , श्रद्धा और प्रेम को पाओ जो आजीवन आपके संग चलेगा आपकी रक्षा करेगा । भटकाव से बचाएगा ।
अलख आदेश ।।।

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