Sunday 15 February 2015

प्रभु श्री आदेश नाथ जी के अनुपम वचन

                              ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश

मेरे गुरुदेव प्रभु श्री आदेश नाथ जी के अनुपम वचन :
                                   सत युग, त्रेता युग और द्वापर युग में एक अच्छी बात थी कि उस समय मनुष्य , देव एवं दानव की वेश भूषा , वार्ता , रहन सहन अलग थी ।देव सुन्दर स्वच्छ आभूषण युक्त एवं संस्कृत बोलते थे । सभी से प्रेम तथा कृपा करते थे । देव सत्कर्म में लीन रहते थे ।मनुष्य साधारण क्रियाकलापों को करते और हिंदी बोलते थे । सांसारिक कृत्य कर परमेश्वर की उपासना करते थे ।
                                दानव गंदे एवं मांस मदिरा पी कर उद्धम मचाते थे । अपशब्द बोलते थे । मनुष्य तथा देवों को परेशान करते थे।जब कलिकाल का पदार्पण हुआ तब सब एक सम हो गए । सबकी वेश भूषा व्यवहार तथा वार्ता एक सामान हो गयी । अंतर कर पाना मुश्किल हो गया ।सब एक साथ रहने लगे । देव मनुष्य और दानव के भाव ही इस पृथ्वी पर रह गए ।
                                 पर मनुष्य की बुद्धि जीवित है । देव मनुष्य और दानव में भेद उनके कार्य कलापों से ज्ञात किया जा सकता है । पर व्यवहार तथा भेद जानने के लिए थोडा परिश्रम करना पड़ेगा । भाव तथा क्रिया कलापों से ही जाना जा सकता है कि कौन देव है कौन मनुष्य और कौन दानव ।
जय गुरुदेव ।।। श्री नाथ जी गुरु जी को आदेश आदेश आदेश ।।
अलख आदेश ।।।

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