ॐ सत नमो आदेश श्री नाथजी गुरूजी को आदेश आदेश आदेश
अघोर साधकों से बात करते समय संयम आवशक है । कई ऐसे महानुभाव हैं जो अघोर
के निष्ठुर बर्ताव को नहीं समझ कर उनके विरुद्ध में बोलना शुरू कर देते हैं
। अभी हाल में एक महानुभाव “मनु मेहता” महाशय ने कहा अगर शक्तियों का दम
है तो सट्टे का नंबर बताओ , समझाने के प्रयास पे शुरू हो गए गाली गलौच करने
। कुछ ऐसे भी हैं की मिलने आये और शुरू हो गए अपना पिटारा लेकर ये कर दो
वो कर दो, ऐसा हुआ है वैसे कर दो वैसे हुआ तो ऐसे कर दो ।
इस बात से बेखबर होकर की एक अघोर साधक के कर्म, वाणी और सोच बस इष्ट के
अनुसार ही चलते हैं । एक अघोर साधक खुद को बड़ा नहीं बताता है , अघोर साधक
के सारे कर्म इष्ट के नियम और आदेश के अनुसार ही होते हैं ।अब शक्तियां हैं तो क्या सट्टे का नंबर पता करवाएं? या किसी प्रेमी प्रेमिका को मिलाने चल दें ?
सांसारिक एवं भौतिक प्राप्ति से अघोर को क्या लेना देना । उसे जो चाहिए वो
तो वो पा ही लेगा । आवश्यक है आप क्या पाना चाहते हैं एक अघोर से ? स्वयं
सक्षम बनना या सांसारिक सुख प्राप्त करना जो अत्यंत ही सूक्ष्म है । क्षण
भंगुर तत्व की प्राप्ति तो आपके मृतप्राय देह के सामर्थ्य से संभव है ।
सांसारिक और भौतिक प्राप्ति से प्रमुख है स्वः को सक्षम बनाना ।
सांसारिक उपलब्धि किस क्षण समाप्त हो जाए किसी को नहीं पता होता है । पर
आध्यात्मिक उपलब्धि जन्मो जन्मो तक साथ चलती है । ऐसे बस कहना नहीं अटल
सत्य है । आप के ज्ञान से अर्जित धन कुछ समय तक ही चल सकता है पर ज्ञान
मृत्योपरांत भी आपसे जुड़ा रहता है ।
प्रमुख है की स्वः सक्षम बने, इष्ट पर पूर्ण विश्वास और निःस्वार्थ प्रेम
करें । इष्ट का स्वरुप एक माता के सामान होता है । जिसे अपने पुत्र के
बोलने और सोचने से पहले पता होता है की पुत्र को क्या चाहिए । ऐसे में या
तो आपके चाहने से पूर्व मातृ स्वरुप इष्ट सारी इक्षाएं पूर्ण कर देती है ।
अब आप यह सोचो क्या बस जो शीघ्र लक्ष्य प्राप्त करना है या पूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति चाहिए
क्षणिक इक्षा पूर्ण करनी है या सर्वोच्य इक्षा को पूर्ण करना है ?अघोर के पास जाओ तो आशीर्वाद मांगो, क्षमता मांगो, और इष्ट दर्शन की कामना
करो । सांसारिक एवं क्षणिक वस्तुए मांगोगे तो वो अघोर को क्षण में क्रोधित
करेगा । और कोप का भागी होना पड़ेगा ।
अलख आदेश ।।।
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